किस गुनाह की सजा में मुब्तिला हूँ मैं ...
तेरे इंम्तिहान देख, बहुत अदना हूँ मैं ...
तेरे इंम्तिहान देख, बहुत अदना हूँ मैं ...
बारहां कोशिशे मेरी नाकाम हुए जाती हैं
तलब में आंसू लिए तकती निगाह हूँ मैं ...
इक हसरत भरी नज़र हैं मेरे अपनों की मुझसे
मैं क्या जवाब दूँ उन्हें, के क्या हूँ मैं ...
क्या ख्वाबो की कीमत तिल-तिल कर मरना हैं
जंग हार गया हूँ तो फिर क्यूँ जिन्दा हूँ मैं ...
माना मेरी दुआओ में असर नहीं फिर भी लेकिन
किसी का आसरा हूँ तो किसी का हौसला हूँ मैं ...
हार कर भी मुस्कराता रहा इक तुझ पे अकीदा रखकर
ए अल्लाह, कैसा भी सही आखिर तेरा बन्दा हूँ मैं
----'आबिद'
waaaah bhot khub waaaaah
ReplyDeletebahut khoob,माना मेरी दुआओ में असर नहीं फिर भी लेकिन
ReplyDeleteकिसी का आसरा हूँ तो किसी का हौसला हूँ मैं ...
हार कर भी मुस्कराता रहा इक तुझ पे अकीदा रखकर
ए अल्लाह, कैसा भी सही आखिर तेरा बन्दा हूँ मैं