फिर नदी के पास लेकर आ गयी
मैं न आता प्यास लेकर आ गयी|
मैं न आता प्यास लेकर आ गयी|
जागती है प्यास तो सोती नहीं
और अपनी तीव्रता खोती नहीं
और अपनी तीव्रता खोती नहीं
वो तपोवन हो के राजा का महल
प्यास की सीमा कोई होती नहीं
हो गये लाचार विश्वामित्र भी
मेनका मधुमास लेकर आ गयी|
तृप्ति तो केवल क्षणिक आभास है
और फिर संत्रास ही संत्रास है
शब्द-बेधी बाण, दशरथ की व्यथा
कैकेयी के मोह का इतिहास है
इक ज़रा सी भूल यूँ शापित हुई
राम का वनवास लेकर आ गयी|
प्यास कोई चीज़ मामूली नहीं
प्राण ले लेती है पर सूली नहीं
यातनायें जो मिली हैं प्यास से
आज तक दुनिया उसे भूली नहीं
फिर लबों पर कर्बला की दास्ताँ
प्यास का इतिहास लेकर आ गयी|
प्यास की सीमा कोई होती नहीं
हो गये लाचार विश्वामित्र भी
मेनका मधुमास लेकर आ गयी|
तृप्ति तो केवल क्षणिक आभास है
और फिर संत्रास ही संत्रास है
शब्द-बेधी बाण, दशरथ की व्यथा
कैकेयी के मोह का इतिहास है
इक ज़रा सी भूल यूँ शापित हुई
राम का वनवास लेकर आ गयी|
प्यास कोई चीज़ मामूली नहीं
प्राण ले लेती है पर सूली नहीं
यातनायें जो मिली हैं प्यास से
आज तक दुनिया उसे भूली नहीं
फिर लबों पर कर्बला की दास्ताँ
प्यास का इतिहास लेकर आ गयी|
--अन्सार कम्बरी
सुन्दर प्रस्तुति... शुभकामनायें...
ReplyDeleteसादर ,बहुत सुन्दर
ReplyDeleteफिर नदी के पास लेकर आ गयी
मैं न आता प्यास लेकर आ गयी|
जागती है प्यास तो सोती नहीं
और अपनी तीव्रता खोती नहीं
वो तपोवन हो के राजा का महल
प्यास की सीमा कोई होती नहीं
हो गये लाचार विश्वामित्र भी
मेनका मधुमास लेकर आ गयी|
तृप्ति तो केवल क्षणिक आभास है
और फिर संत्रास ही संत्रास है
शब्द-बेधी बाण, दशरथ की व्यथा
कैकेयी के मोह का इतिहास है
इक ज़रा सी भूल यूँ शापित हुई
राम का वनवास लेकर आ गयी|
प्यास कोई चीज़ मामूली नहीं
प्राण ले लेती है पर सूली नहीं
यातनायें जो मिली हैं प्यास से
आज तक दुनिया उसे भूली नहीं
फिर लबों पर कर्बला की दास्ताँ
प्यास का इतिहास लेकर आ गयी
वाह यशोदा बहन! बहुत सुन्दर! आपका जितना आभार व्यक्त किया जाए उतना कम है इतनी अतुलनीय रचना को यहां उपलब्ध कराने के लिए।
ReplyDeleteसादर!
इक ज़रा सी भूल यूँ शापित हुई
ReplyDeleteराम का वनवास लेकर आ गयी|.....
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waah.... lajawaab ...
गहन प्रस्तुति!
ReplyDelete~सादर!!!
sunder rachnaa ,badhaai aapko
ReplyDelete
ReplyDeleteप्यास कोई चीज़ मामूली नहीं
प्राण ले लेती है पर सूली नहीं
यातनायें जो मिली हैं प्यास से
आज तक दुनिया उसे भूली नहीं--------
वाह बहुत गहरी बात को कितनी सहजता से व्यक्त कर दिया है
जीवन की प्यास का सच
रचनाकार को बधाई
आपका आभार एक सुंदर गीत को पढ़वाने का