Sunday, August 19, 2012

ईद मुबारक...आबिद हुसैन

ईद मुबारक...

या अल्लाह, जिन्दगी को नया रास्ता दें दें
तेरा ही जिक्र, तेरा सुकून, तेरी अता दें दें

अब और इम्तिहान की कुव्वत नहीं मुझमे
तू रहीम हें, रहम तेरा जरा सा दें दें

ये अँधेरा सुबह होने का हें या गुमनामी का
थके हुए मुसाफिरों को अदद आसरा दें दें

हर कदम जाने-अनजाने गुनाह किये हें हमने
जो तेरी बारगाह में कुबूल हो वो ही तौबा दें दें

हमने हमारी समझ की हर तरकीब आजमा ली
तू ही अपने गैब से हमें कोई मोजेज़ा दें दें

--'आबिद'

10 comments:

  1. ये अँधेरा सुबह होने का हें या गुमनामी का
    थके हुए मुसाफिरों को अदद आसरा दें दें
    और............
    उनके सफ़र को अपना सा दामन दे..
    आबिद साहब... आपको ईद मुबारक
    ओह... यशोदा जी को भी
    सच में.. दिल से मुबारकबाद दे रहा हूँ...

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    1. शुक्रिया राहुल
      पहला कमेंट...
      हर पहली चीज प्यारी होती है

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  2. हर कदम जाने-अनजाने गुनाह किये हें हमने
    जो तेरी बारगाह में कुबूल हो वो ही तौबा दें दें...

    बेहद खूबसूरत.....
    लगा मानों ईदी मिल गयी...
    शुक्रिया यशोदा.
    सभी को ईद मुबारक हो.
    सस्नेह
    अनु

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    1. शुक्रिया दीदी
      मुझे भी मिल गई ईदी

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  3. Bahut umda Ibadut ALLAH se marg darshan ke liye; aur Eid ke pavitr mauke per sub gunnaho ki maafi ki ardas. Jab tak zindagi he kaam to bande ko kerna hi he , bus itna rehm mere Maalik ki her kadam uthne de pehle nazar me inzam ho .

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    1. शुक्रिया मलिक साहब

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  4. हमने हमारी समझ की हर तरकीब आजमा ली
    तू ही अपने गैब से हमें कोई मोजेज़ा दें दें

    sach hai jab apni koi tadbeer ya tarkeeb kam nahin aati to bas unka hi rahmat ka asra hota hai.. wo hi rah dikha sakte hain... bahut sundar.

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  5. या अल्लाह, जिन्दगी को नया रास्ता दें दें
    तेरा ही जिक्र, तेरा सुकून, तेरी अता दें दें

    सुभानल्लाह बहुत उमड़ बात काही है।

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    1. शुकराना नज़र करती हूँ

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