याद आता है तेरे चेहरे का खिल जाना .......
मेरे सामने आते ही
मेरे सामने आते ही
तेरी उदासी ...
जब हम कई दिनों तक मिल ना पाते थे
जब हम कई दिनों तक मिल ना पाते थे
तेरा चहक उठाना ...जब हम तन्हाइयों में मिल जाते थे
हर महफ़िल में मुझे ही खोजती .....तेरी निगाहें
मिल जाएँ तो एकांत में जाकर घंटों बिताए पल
सच !! कुछ यादें कितनी सुखद होती हैं ,हैं ना !!
हमेशा यूँ ही सजीव हो उठती हैं ....
जैसे बस कल ही की बात हो ||
फिर से हमें उसी समय में पहुंचा देती हैं
कभी वक्त मुझ पर कितना मेहरबान हुआ करता था
अब तो वक्त ने भी बेवजह करवट बदली है
बहरूपिया सा मेरा वक्त हो चला है
अपने हिसाब से रूप बदलता है
काश मैं अपनी चाहत के हिसाब से इस बहरूपिये को बदल पाती
काश उसी समय को जब मैंने हसीं पल गुजारे,
अपनी जिंदगी में फिर से पा जाती
जैसे शुरू हुई थी मेरी जिंदगी तुमसे ....काश !!
तुम्हीं पर मेरी जिंदगी ख़त्म हो पाती .....काश !!
तुमसे पहले मैं इस दुनिया से विदा हो जाती ......काश !!
काश !!मैं भी इस बहुरूपिये से वक्त की तरह
अपने जीवन की सच्चाई को बदल पाती
मिल जाएँ तो एकांत में जाकर घंटों बिताए पल
सच !! कुछ यादें कितनी सुखद होती हैं ,हैं ना !!
हमेशा यूँ ही सजीव हो उठती हैं ....
जैसे बस कल ही की बात हो ||
फिर से हमें उसी समय में पहुंचा देती हैं
कभी वक्त मुझ पर कितना मेहरबान हुआ करता था
अब तो वक्त ने भी बेवजह करवट बदली है
बहरूपिया सा मेरा वक्त हो चला है
अपने हिसाब से रूप बदलता है
काश मैं अपनी चाहत के हिसाब से इस बहरूपिये को बदल पाती
काश उसी समय को जब मैंने हसीं पल गुजारे,
अपनी जिंदगी में फिर से पा जाती
जैसे शुरू हुई थी मेरी जिंदगी तुमसे ....काश !!
तुम्हीं पर मेरी जिंदगी ख़त्म हो पाती .....काश !!
तुमसे पहले मैं इस दुनिया से विदा हो जाती ......काश !!
काश !!मैं भी इस बहुरूपिये से वक्त की तरह
अपने जीवन की सच्चाई को बदल पाती
-----अंजना चौहान
प्रस्तुतिकरणः राकेश कुमार गुप्ता
बहुत बढ़िया...........
ReplyDeleteअनु
धन्यवाद दीदी
Deleteअंजना जी फेसबुक में मेरी मित्र हैं
सादर
प्रेम रस में पगी सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगम्बर भाई
Deleteसंपादक/प्रकाशक/संचालक महोदय जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
में ,पंडित दयानंद शास्त्री, झालरापाटन,जिला-झालावाड,राजस्थान का निवासी हूँ एवं गत दस वर्षों से ज्योतिष,वास्तु,हस्तरेखा एवं आध्यात्म तथा इससे सम्बंधित विषयों पर लेखन कार्य में संलग्न हूँ..
मेरे लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हें..
में भी अपने एक पाक्षिक समाचार पत्र "विनायक वास्तु टाईम्स "(RNI/HIN/2008/25671) का सफल संचालन पिछले पांच वर्षों से पर रहा हूँ...
इसके साथ-साथ/अलावा अनेक पत्रिकाओं प्रूफ रीडिंग/संपादन सम्बन्धी कार्य को भी अंजाम देता हूँ...
महोदय,
आपको पत्र लिखने का करण यह हें की मेरी दिली ख्वाहिश/इच्छा हें की मेरे लेख/विचार पढ़कर हमारे देश की हेरान-परेशान जनता/आमलोग को एक सही दिशा/रास्ता/मार्गदर्शन प्राप्त हो सके...
मुझे नाम-दाम/पारिश्रमिक की भी कोई लालसा नहीं हें...
यदि आपको मेरे लेख/विचार/कवितायेँ..उचित लगे तो इन्हें कृपया अपने समाचार पत्र/न्यूज पोर्टल/फीचर एजेंसी के माध्यम द्वारा अधिकतम जरूरतमंद लोगो तक पहुँचाने का श्रम/उपकार/कृपा कीजियेगा..
लेख प्रकाशित/छपने/प्रसारित होने पर मुझे सूचित जरुर कीजियेगा..
यदि संभव हो तो मुझे आपके संस्थान का एक अंग/हिस्सा/भाग बनाने का कष्ट करें..
आपको मेरे सभी लेख मेरे ब्लोग्स पर मिलेंगे--वर्डप्रेस,ब्लागस्पाट,वेबदुनिया साथ ही अनेक स्थानों पर उपलब्ध हें...
इस हेतु में आपका आभारी/कृतज्ञ /ऋणी रहूँगा...
धन्यवाद...
सदेव आपकी सेवा हेतु तत्पर---
आपका अपना
पंडित दयानंद शास्त्री,
(संपादक-विनायक वास्तु टाईम्स )
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोष संसथान,
पुराने पावर हॉउस के पास, कसेरा बाजार,
झालरापाटन सिटी-326023 (राजस्थान)
Mob.--
---09411190067(UTTARAKHAND);;
---09024390067(RAJASTHAN);;
--- 09711060179(DELHI);;
मेरे लेख/विचार के लिंक निम्न हें---
My Blogs ----
----1.- http://vinayakvaastutimes.blogspot.in/?m=1/;;;;
--- 2.- https://vinayakvaastutimes.wordpress.com/?m=1//;;;
--- 3.- http://vaastupragya.blogspot.in/?m=1...;;;
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आप मेरे ब्लोग्स पर जाकर/ फोलो करके - प्रकाशित कर सकते हें /शेयर करके/जानकारी प्राप्त कर सकते हे/नए लेख आदि भी पढ़ सकते हे..... धन्यवाद...प्रतीक्षारत....
Thank you very much .
पंडित दयानन्द शास्त्री
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----vastushastri08@gmail.com;
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----vastushastri08@hotmail.com;
शास्त्री जी आप आए ये मेरा सौभाग्य है
Deleteआभार
दीदी, मुझे आपकी मदद /सहायता चाहिए ..यदि आप ठीक समझे...
ReplyDeleteप्लीज, मुझे गाईड/मार्गदर्शन दीजियेगा की में अपने ब्लोग्स को और बेहतर /यूजफुल केसे बना सकता हूँ .??
उनमे और क्या-क्या जोड़ सकता हूँ..जेसे विजेट्स या अन्य सामग्री..
आभारी रहूँगा...धन्यवाद..प्रतीक्षारत...
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पंडित दयानन्द शास्त्री
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