मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Thursday, April 9, 2020
दिशा दीप्त हो उठी ...स्मृतिशेष रामधारी सिंह दिनकर
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स्मृतिशेष रामधारी सिंह दिनकर वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है; थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है। चिनगारी बन ग...
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Wednesday, April 8, 2020
देखा है किस निगाह से ...नवीन मणि त्रिपाठी
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221 2121 1221 212 सब लोग मुन्तज़िर है वहाँ माहताब के । चेहरे पढ़े गए हैं जहाँ इज़्तिराब के ।। छुपता कहाँ है इश्क़ छुपाने के बाद भी ।...
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Tuesday, April 7, 2020
दायरे से वो निकलता क्यों नहीं ...ममता किरण
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दायरे से वो निकलता क्यों नहीं ज़िंदगी के साथ चलता क्यों नहीं बोझ सी लगने लगी है ज़िंदगी ख़्वाब एक आँखों में पलता क्यों नहीं कब ...
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Monday, April 6, 2020
दरवाज़े की आंखें ...आरती चौबे मुदगल
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दीवारों के कान होते हैं एक पुरानी कहावत है किंतु अब दरवाज़े देखने भी लगे हैं उनके पास आंखें जो हो गई हैं चलन बदल गया है पहले...
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Sunday, April 5, 2020
सफ़ेद कुरता....नीलिमा शर्मा
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अब तुम कही भी नही हो कही भी नही ना मेरी यादों में न मेरी बातों में अब मैं मसरूफ रहती हूँ दाल के कंकड़ चुन'ने में शर्ट क...
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Saturday, April 4, 2020
सरगोशियों का मलाल था .. मृदुला प्रधान
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पिछले पोस्ट पर कई लोगों ने इच्छा व्यक्त की .. वहाँ जिस कविता का ज़िक्र हुआ था उसे पढ़ने की .. तो प्रस्तुत है .. कभी मुंतज़िर च...
Friday, April 3, 2020
आग ...वीरेन्दर भाटिया
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आग मनुष्य का अविष्कार नहीं, मनुष्य से पहले से है आग आग खोज भी नहीं है मनुष्य की खुद आग खोज रही थी कोई सुरक्षित हाथ जिसमे कल्याण...
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