मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Sunday, July 16, 2017
सावन का महीना ! ......प्रीती श्रीवास्तव
›
हर चेहरे पे निखार आयी है !! बादल भी बरसे जमकर ! धरा की प्यास बुझायी है !! बैरी सजनवां परदेश बसे ! याद उनकी बार बार आयी...
9 comments:
Saturday, July 15, 2017
सफल आदमी.......भास्कर चौधुरी
›
यह औरत ही है जो घर को सम्हाल कर रखती है कहा उसने यह औरत ही है जो आदमी को उसकी मंजिल तक पहुँचाती है कहा उसने और सामाने बैठी औरतों की ...
7 comments:
Friday, July 14, 2017
ज़िंदगी ही से सवाल करता हूँ.......राजेश”ललित”शर्मा
›
समय ज़रा सरक बैठने दे मुझे अपने साथ गुज़ारने दे चंद पल कुछ करें बात चलें कुछ क़दम समझें हम तुम्हें तुम हमें समझो सच में ब...
5 comments:
Thursday, July 13, 2017
आज हक़ीक़त सा ये किस्सा...पावनी दीक्षित 'जानिब'
›
मैंने उसके लिए अपना सबकुछ नीलाम कर दिया उसकी नज़रो में मैने खुदको ही नाकाम कर दिया। वो मुझे समझे गुनहगार तो अब मर्ज़ी है उसकी ह...
4 comments:
Wednesday, July 12, 2017
सब भेंट कर देना चाहती थी......निधि सक्सेना
›
उस रोज मंदिर में देवी माँ के समक्ष भावविह्लल मैं उन्हें अपने दुख दर्द मान अपमान विश्वास अविश्वास आस निराश सब भेंट ...
3 comments:
Tuesday, July 11, 2017
ऐ ज़िदगी, तू हार गयी दर्द देकर मुझे....श्वेता सिन्हा
›
श्वेता बहन ने दर्द को मेरे किया महसूस हलका किया मेरी पीड़ा को तन-मन के दाह को पोछा मेरे बह रहे अश्रु को... हृदय से आभा...
11 comments:
Monday, July 10, 2017
याद...अर्चना वैद्य करंदीकर
›
मैंने सुनी थी विरह की बातें मगर कोयल तो कूकती है; फूल भी खिलते हैं; पंछी भी चहकते हैं..... कोई नहीं जान पाता तुम्हारे ...
2 comments:
‹
›
Home
View web version