मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह

Monday, June 11, 2012

खुदा परस्त दुआ ढूंढ रहे हैं.......अंसार कम्बरी

›
वो हैं के वफ़ाओं में खता ढूंढ रहे हैं, हम हैं के खताओं में वफ़ा ढूंढ रहे हैं ! हम हैं खुदा परस्त दुआ ढूंढ रहे हैं, वो इश्क के बीमार ...
11 comments:
Saturday, June 2, 2012

उनकी बातो में ठहराव बहुत है !.........डॉ. सरोज गुप्ता

›
मेरे इस ब्लाग की पचासवीं पोस्ट  मैं आदरणीय दीदी डॉ. सरोज गुप्ता  की कलम की कील से जड़ रहीं हूँ  देते हैं रोज नसीहतों की पुडिया ...
10 comments:
Tuesday, May 29, 2012

जी रहे हैं हम कफ़न ओढ़े हुए !!.............राहुल गुप्ता स्पर्शी

›
जिन्दगी की हर ख़ुशी छोड़े हुए ! जी रहे हैं हम, कफ़न ओढ़े हुए !! ००००००००००० जान से अपनी जुड़े गम ही रहे ! कभी हुए ज्यादा, कभी थोड़े हुए !...
2 comments:
Tuesday, May 22, 2012

साथ में चले वो क़ाफ़िला रहा..........स्व. पण्डित कृष्णानन्द चौबे

›
हमको शिकायतें रहीं, उनको गिला रहा, मुद्दत से बहरहाल यही सिलसिला रहा ! मेरे खुतूत कैसे रकीबों ने पढ़ लिये, लगता है नामावर मेरा उनसे मिला...
7 comments:
Monday, May 21, 2012

तआक़ुब में गई सारी जवानी.......अमजद इस्लाम 'अमजद'

›
मैं भींगती आँखों से उसे कैसे हटाऊँ मुश्किल है बहुत अब्र में दीवार उठानी अब्र = घटा, निकला था तुझे ढूंढने इक हिज्र का तारा फिर उसके तआक़ुब...
Sunday, May 20, 2012

बोझिल आहें देती हैं दुहाई...............दीप्ति शर्मा

›
अथाह मन की गहराई और मन में उठी वो बातें हर तरफ है सन्नाटा और ख़ामोश लफ़्ज़ों में कही मेरी कोई बात किसी ने भी समझ नहीं पायी कानों में गूँज...
4 comments:
Saturday, May 5, 2012

मिज़ाज पत्थर का.......डॉ. मोईनुद्दीन ‘शाहीन’

›
हर तरफ है रिवाज पत्थर का रिश्ते-नाते, समाज पत्थर का   नाव काग़ज़ की चल न पाई तो कीजिए काम-काज पत्थर का पूछते हैं तबीब आ आकर रोज़ हमसे ...
4 comments:
‹
›
Home
View web version

Contributors

  • Digvijay Agrawal
  • Sweta sinha
  • yashoda Agrawal
Powered by Blogger.