Sunday, November 17, 2024

गुलाबी अक्षर

 हथेलियों पर गुलाबी अक्षर



रख दो
इन कांपती हथेलियों पर
कुछ गुलाबी अक्षर
कुछ भीगी हुई नीली मात्राएं
बादामी होता जीवन का व्याकरण
चाहती हूँ कि
हथेली पर उग कोई कविता
अंकुरित हो जाए कोई भाव
प्रस्फुटित हो जाए कोई विचार
फूटने लगे ललछौंही कोंपलें...
मेरी हथेली की उर्वरा शक्ति
सिर्फ जानते हो तुम
और तुम ही दे सकते हो
कोई रंगीन-सी उगती हुई कविता
इस रंगहीन वक्त में ....

-फाल्गुनी

(पुस्तक कल ही मिली इसी संग्रह की पहली कविता है ये)

13 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता !

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  2. बहुत प्यार बहुत आभार... सही हाथों में पुस्तक अब पहुंची है 🥰💕🙏🏻✨

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  3. बहुत सुंदर कविता है 💐🌼✨❤️

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  4. बहुत सुन्दर कविता

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  5. वाह बहुत सुन्दर

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 18 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  7. मेरी प्यारी बहना, मेरी हथेली पर जब तेरी गुलाबी अक्षरों के गुलाबों से भरी हथेली आई तो उस पल मैं निहाल हो गई!! बहुत ही सुन्दर शब्दों का सुरीला झरना! ये अनवरत निर्बाध बहता रहे❤️

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  8. बहुत सुन्दर

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  9. बहुत सुंदर.
    ढेरों शुभकामनाएँ।

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  10. वाह ! नन्हीं सी, निश्छल, सुकुमार कविता !

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