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काश कि चित्रकार होती
तो इन चरणकमलों को अपनी कूची से उकेरती
यूँ खो जाती इनमें..
काश कि मूर्तिकार होती
तो मूर्ति गढ़ती
यूँ नाता जोड़ती इनसे..
काश कि कवि होती
काव्य रचती
यूँ सुख पाती ..
परन्तु मैं अकिंचन
न रंग न शब्द न छैनी
केवल भावनाएं हैं
वो भी कभी उफनती किलकती
कभी लड़खड़ाती
वही अर्पित करती हूं श्रीहरि
अपने अंक लगाए रखना
तुममें ही डूबूं तिरुं
प्रेम की अलख जगाए रखना...
-निधि सक्सेना
कृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनाएं
ReplyDeleteहरि अपने चरणों में जगह देना।
बहुत सुन्दर भक्ति भाव पूर्ण।
बहुत सुन्दर भाव ...
ReplyDeleteप्रेम करना सब कुछ हो जाना है ... बिना भाव के कुछ नहीं होता ... ये कान्हा जानते हैं और समझ जाते हैं ...