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बहुत कमा लिया
सब कहते है
कितना लिखती हो?
इतना क्यों लिखती हो?
लिख कर क्या कमा लिया?
कौन सा खेत उखाड़ लिया?
शायद सच ही कहते होंगे
ये उनके तजुर्बे होंगे
हर चीज में नफा
नुकसान देखते है
हर किसी को
तराजू में तोलते है
तो बता दूं हमनें भी बहुत
दौलत रख ली
जेबें दुआओं से भर लीं
कितनों के चेहरे पर मुस्कान ला दी
कितनो की जिंदगी दुहरा दीं
कितनों के दिल में बस गई
उनको मेरी आदत सी लग गई
कविता ही मेरी, जिंदगी हो गई
अब ये असल में मायने हो गई
जिस दिन दुनिया से जाऊंगी
कुछ दुआएं भी ले जाऊंगी
लोग कमा लिए इतने
कि कुछ तो मेरे जाने
से गमगीन रहेंगे
मेरी कविता को ही
मेरे लिए गुनगुना देंगे
स्वरचित
-नीलम गुप्ता
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 17 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसही बात है कविता से लोगों के दिल में जगह बनायी है यही अपनी कमाई हैं पर प्रेक्टिकल लोग सवाल तो पूछते ही हैं ....अपने बेवजह दिमाग खर्च कहते हैं तो बाहर वाले मोटी कमाई का शक करते हैं...अपने मन की तो कवि ही समझते हैं।
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