शुरू ही कहां हुआ
लोग कहतें हैं कि
बक्त नहीं कटता
हम कहते कि
बक्त ही नहीं मिलता
लोग कहते हैं
उम्र हो गई
हम कहते
अब जिंदगी
शुरू हो गई
लोग कहे बच्चों को
सैटल करना है
हम कहे, हमें
अब मजे करना है
लोग बुढ़ापे से
डर रहे
हम जवानी के
मजे कर रहे
उन्हें भविष्य
डरा रहा
हमे वर्तमान में
मजा आ रहा
उन्होंने जीना
छोड़ दिया
हमनें तो अब जाके
शुरू किया
वो कहते
बहुत हुआ
हम कहते
शुरू ही
कहां हुआ...???
स्वरचित
- नीलम गुप्ता
सुन्दर सृजन। विश्व हिन्दी दिवस पर शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना 👌
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