Thursday, November 26, 2020

यदि भारत और चीन में युद्ध होता है तो किस देश का ज्यादा नुकसान होगा?

यदि भारत और चीन में युद्ध होता है तो किस देश का ज्यादा नुकसान होगा?

जहां तक भारत और चीन की तुलना की बात है तो चीन बेशक कागजों में मजबूत है पर मैं चीन की अन्य शत्रु देशों से उसके मोर्चों के आधार पर विवेचना करुंगा।


थल सेना

अगर भारत और चीन की थल सेना की बात की जाए तो चीन सेना के लगभग २१ लाख सक्रिय जवानों की तुलना में भारतीय सेना के १४ लाख सक्रिय जवान है पर अगर इसमें CRPF,CISF,BSF,BTSF जैसे अर्ध सैनिक बलों को मिला दिया जाए तो ४५ लाख से ऊपर है और चीन के ३५ लाख आसपास बैठेंगे । भारत की सेना को मुख्य रुप से चीन और पाकिस्तान से निपटना है जिसके लिए १३ लाख की सक्रिय सेना काफी है ५ लाख पाकिस्तान के लिए और ८ लाख चीन के लिए दुसरी चीन को अमेरिका जापान वियतनाम ताइवान लाओस और इंडोनेशिया से सीधी चुनौती है और वो किसी भी स्थिति में भारत से लड़ने ५ लाख से ज्यादा नहीं भेज सकता साथ ही साथ तिब्बत की भौगोलिक स्थिति भारतीय सेना के ज्यादा अनुकूल है।साथ ही ताजा खबरों के अनुसार भारत ने दक्षिणी चीन सागर में अपने जंगी जहाज़ों के बेड़े को चुपचाप तैनात कर दिया है जिससे चीन में बौखलाहट है।


वायुसेना

अब बात करते हैं वायुसेना की चीन के पास लगभग ३००० हजार फाइटर जेट है और भारत के पास लगभग २००० हजार पर चीन अपने अन्य अग्रलिखित मोर्चों के अनुसार ८००-१००० से ज्यादा भारत के साथ युद्ध में नहीं उतार सकता अगर अमेरिकी वायुसेना ने दबाव बनाया तो इससे भी कम तकनीकी रूप से भारत के फाइटर जेट चीनी फाइटर जेटो का मुकाबला कर सकते हैं क्योंकि चीन ने उसे पुराने रुसी फाइटर प्लेनो की नकल करके बनाया और वो भारत के पास भी है दुसरी तरफ भारत के मिराज और राफेल का मुकाबला कोई भी चीनी फाइटर जेट नहीं कर सकता और तिब्बत में ईंधन और दूरी के मामले में भारत फायदे में है।

नौसेना

हिन्द महासागर में भारतीय नौसेना को कोई भी चुनौती देने की स्थिति में नहीं है मलक्का खाड़ी में भारत चीन के व्यापारिक जहाजों को रोक सकता है जो चीन के दो तिहाई से ज्यादा विदेशी व्यापार का हिस्सा है यही चीन की सबसे बड़ी कमजोरी या दुखती रग है चीनी नौसेना अपने इलाके में जापानी अमेरिकी नौसेना के साथ बुरी तरह उलझी हुई है इसलिए युद्ध की स्थिति में वो एक तरह ब्लोक हो जायेगी ताजा खबरों के मुताबिक भारत ने दक्षिण चीन सागर में जंगी बेड़ा तैनात कर दिया है जो चीन के लिए ख़तरे की घंटी है।

भारत पिछले दो दशकों से सबसे उन्नत विदेशी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भी है जो चीन के लिए सुलभ नहीं है १९६२ के बाद भारत ने कई युद्ध जीते है और लगातार अपनी स्थिति मजबूत की है दुसरी तरफ चीन १९६२ के बाद रुस और वियतनाम जैसे देशो बूरी तरह से युद्ध हारा है इसलिए वो किसी भी स्थिति में आज युद्ध में भारत का मुकाबला नहीं कर सकता वरन उसे तिब्बत के खोने का डर है इसलिए वो इस तरह की हरकतें करता है ताकि अंतरराष्ट्रीय दबाव में भारत कोई सैनिक कार्रवाई न करें।
प्रस्तोताः राज यादव
मूल आलेख के लिए यहां देखें


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