घर की मकड़ी कोने दुबकी
वर्षा होगी क्या?
बायीं आंख दिशा की फड़की
वर्षा होगी क्या?
सुन्नर बाभिन बंजर जोते
इन्नर राजा हो!
आंगन-आंगन छौना लोटे
इन्नर राजा हो!
कितनी बार भगत गुहराए
देवी का चौरा
भरी जवानी जरई सूखे
इन्नर राजा हो!
आगे नहीं खिसकता
सूरज के रथ का पहिया
भुइंलोटन पुरवैया सिहकी
वर्षा होगी क्या?
छाती फटी कुआं-पोखर की
धरती पड़ी दरार
एक पपीहा तीतरपाखी
घन को रहा पुकार
चील उड़े डैने फैलाए
जलते अंबर में
सहमे-सहमे बाग-बगीचे
सहमे-से घर-द्वार
लाज तुम्हीं रखना पियरी की
हे गंगा मैया
रेत नहा गौरैया चहकी
वर्षा होगी क्या?
-बुद्धिनाथ मिश्र
समस्तीपुर बिहार
मिथिलांचल के ही वैद्यनाथ मिश्र यानि बाबा नागार्जुन की याद हरियाती रचना ... मिथिलांचल के ही बुद्धिनाथ मिश्र जी की ... रूबरू कराने के लिए आभार आपका ...
ReplyDeleteवाह! बहुत बहुत सुंदर।
ReplyDelete