Saturday, August 15, 2020

यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना ...पावनी दीक्षित 'जानिब'

यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना
एहसास हृदय में धर लेना।

मन वीणा का तार हो तुम
हृदय रक्त संचार हो तुम
मेरी धड़कन के तारों में
सांसों की सरगम भर देना ।
यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना
एहसास हृदय में धर लेना।

तुम प्रेम विरह का संगम हो
तुम अनदेखा इक बंधन हो
तुम आना सूर्य की आभा ले
मेरे मन का अंधेरा हर लेना।
यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना
एहसास हृदय में धर लेना।

चंदन हो अग्नि अंगार हो तुम
जैसे फूलों का हार हो तुम
मुझे तपा कर सोना कर
अपनी माला में गढ़ लेना
यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना
एहसास हृदय में धर लेना।

-पावनी दीक्षित 'जानिब' 
सीतापुर

4 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर, सरस और रुहानी!!!

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  2. यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना
    एहसास हृदय में धर लेना।
    -बेहतरीन पंक्तियाँ । सुन्दर प्रस्तुति। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

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  3. मुझे तपा कर सोना कर
    अपनी माला में गढ़ लेना
    यह मौन मेरा तुम पढ़ लेना
    एहसास हृदय में धर लेना।
    वाह!!!
    लाजवाब नवगीत

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