तेरी बातों में जाने क्यों मुझको इश्क की खुशबू आती है
तेरी बातें धीरे-धीरे से मेरे दिल के जज्बात जगाती हैं।
तेरी आंखों ने हमसे यूं खामोशी से सब कह डाला
अब खामोशी मेरी भी मेरे दिल में तूफान उठाती है।
ये सोच रहा है दिल मेरा इनकार करूं इकरार करूं
लोगों से सुना है दिलकी लगी चाहत में बहुत रुलाती है।
यूं हाथ बढ़ाके पास न आ मुझको ऐसे मजबूर ना कर
तू पास में जब जब आता है यह जान हमारी जाती है।
हम प्यार के रोग से डरते हैं यह रोग जिसे लग जाता है
दिल पल पल आहे भरता है जब याद किसी की आती है।
ये तुमको खबर नहीं जानिब अंजाम ए वफा क्या होता है
यह दुनिया दो दिलवालों को दीवारों में चुनवाती है।
-पावनी दीक्षित, "जानिब"
सीतापुर
फेसबुक से
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल।
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