प्यार के, इकरार के अंदाज सारे खो गए
वो इशारे, रंग सारे, गीत प्यारे खो गए।
ज़िन्दगी से, हर खुशी से, रोशनी से, दूर हम
इस सफर में, अब भँवर में, सब किनारे खो गए।
आप आए, मुस्कराए, खिलखिलाए, क्यों नहीं?
नित मिलन के, अब नयन के चाँद-तारे खो गए।
ज़िन्दगी-भर एक जलधर-सी इधर रहती खुशी
पर ग़मों में, इन तमों में सुख हमारे खो गए।
फूल खिलता, दिन निकलता, दर्द ढलता अब नहीं
हसरतों से, अब ख़तों से सब नज़ारे खो गए।
तीर दे, कुछ पीर दे, नित घाव की तासीर दे
पाँव को जंजीर दे, मन के सहारे खो गए।
-रमेशराज तेवरीकार
प्यार के, इकरार के अंदाज सारे खो गए
ReplyDeleteवो इशारे, रंग सारे, गीत प्यारे खो गए।
Yashoda ji, itnii acchhi Rchna share krne ke liye aabhar
वाह क्या अद्भुत रचना है..... धन्य वाद यशोदा जी
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