वह कुछ जो विचलित कर रहा था
उसी में शांति का आकाश था मेरे लिए।
वह कुछ जो अजनबी था
चिर जुड़ाव का अहसास था मेरे लिए।
वह कुछ जिसे नकारा जा सकता था
पर फिर भी कहीं स्वीकार था मेरे लिए।
वह कुछ जिसे देखना और देखते जाना
अपना ही साक्षात्कार था मेरे लिए।
कुछ दिन आत्म अवलोकन के
मैंने गुजारे थे जिसके तले।
वह कुछ जो मुझे समझ न पाया (आया)
उसे समझना ही अवकाश था मेरे लिए।
-मोनिका जैन ‘पंछी’
वाह
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा मोनिका जी
ReplyDeleteI just read you blog, It’s very knowledgeable & helpful.
ReplyDeleteडबल डोज लेके मानी mp3 Bhojpuri Song
अद्भुत।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteवाह!!!