परों का
कोई संबंध नहीं होता
उड़ान के साथ
उड़ान तो भरी जाती है
हौसले के दम पर
पर तो कुतर देती है दुनिया
घर बन जाते हैं पिंजरा
दरिंदे भी फैलाए रखते हैं जाल
मगर हौसले के दम पर
नभ छू ही लेती हैं लड़कियाँ
क्योंकि लड़कियाँ चिड़ियाँ नहीं होती
लड़कियाँ तो होती है लड़कियाँ !!
लेखक परिचय - दिलबागसिंह विर्क
बहुत ही सुन्दर रचना 👌
ReplyDeleteलड़कियां तो आखिर लड़कियां होती है....
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-07-2019) को ", काहे का अभिसार" (चर्चा अंक- 3387) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर सार्थक अहसास।
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह!!बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteलड़कियों को चिड़िया बने रहने की ट्रेनिंग दी जाती है जन्म से ही। सार्थक रचना।
ReplyDeletewah!!
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