आसमान छूने की चाहत दिल में भरे,
जूनून का जज़्बा चाहत में लिए,
विश्वास की लहरें रगो में भरे,
आज हम उड़ान क्यों ना भरें।
राम-सा तेज आँखों में भरे
भगत सिंह-सा जोश सांसो में भरे
गाँधी-सा धैर्य स्वभाव में भरे
आज हम उड़ान क्यों ना भरें।
दुनिया को न दिखावे के लिए,
न किसी को हराने के लिए,
सिर्फ़ ख़ुद को साबित करने के लिए,
वो साहस वो जज़्बा रगो में भरे,
आज हम उड़ान क्यों ना भरें।
चिंता और भय को त्यागते हुए,
राम से सच्चे पथ पर चलते हुए,
कृष्ण की तरह शत्रुओं को पराजित करते हुए,
मन के महासागर में जल की तरह अथाह,
सिर्फ़ सफलता का विचार भरे,
आज हम उड़ान क्यों ना भरें।
मंज़िल को ये कहने के लिए,
कि मैंने तुझे जीता सब की खुशियों के लिए,
रगो में भरे जूनून और सहस के लिए,
सदा विजय का हृदय में संकल्प भरे,
आज हम उड़ान क्यों ना भरें।
-अक्षत मिश्रा
कवि परिचय
कवि परिचय
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.07.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3030 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
वाह हौसला और संकल्प की उड़ान।
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