मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Thursday, January 11, 2018
अलाव....प्रतिमा भारती
हर तरह कर ली कोशिश
कि गुज़र जाए रात......
फिर भी ज़रूरत पड़ ही गयी
बुझती यादों के सायों की।
इन्हीं को जला के अलाव
की कोशिश
कुछ गरमाहट दें एहसासों को
कि नई किरण के साथ
जग जाएँ रिश्ते ....
नई सुबह के लिए।।
-प्रतिमा भारती
4 comments:
सुशील कुमार जोशी
January 11, 2018 at 9:18 AM
सुन्दर
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मन की वीणा
January 11, 2018 at 12:10 PM
सुंदर ख्याल।
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NITU THAKUR
January 11, 2018 at 1:02 PM
अति सुंदर
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कविता रावत
January 11, 2018 at 7:51 PM
बहुत सुन्दर ..
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सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर ख्याल।
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
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