आ गए तुम
द्वार खुला है
अंदर आ जाओ..
पर तनिक ठहरो
देहरी पर पड़े पायदान पर
अपना अहंकार झाड़ आना..
मधुमालती लिपटी है मुंडेर से
अपनी नाराज़गी वहीं उड़ेल आना ..
तुलसी के क्यारे में
मन की चटकन चढ़ा आना..
अपनी व्यस्ततायें बाहर खूंटी पर ही टांग देना
जूतों संग हर नकारात्मकता उतार आना..
बाहर किलोलते बच्चों से
थोड़ी शरारत माँग लाना..
वो गुलाब के गमले में मुस्कान लगी है
तोड़ कर पहन आना..
लाओ अपनी उलझने मुझे थमा दो
तुम्हारी थकान पर मनुहारों का पंखा झल दूं..
लाओ अपनी उलझने मुझे थमा दो
तुम्हारी थकान पर मनुहारों का पंखा झल दूं..
देखो शाम बिछाई है मैंने
सूरज क्षितिज पर बांधा है
लाली छिड़की है नभ पर..
प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर चाय बनाई है
घूंट घूंट पीना..
सुनो इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना....
-निधि सक्सेना
(यह कविता भोपाल निवासी निधि सक्सेना ने लिखी है।
सोशल मीडिया पर इसे सुप्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा की रचना बता कर चलाया जा रहा है।)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-12-2016) को "काँप रहा मन और तन" (चर्चा अंक-2551) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर ।
ReplyDelete'आ गए तुम' ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखिका महाश्वेता देवी की लिखी हुई है ! यू ट्यूब पर भी उपलब्ध है ! मुझे भी बहुत पसंद है ! पाठकों की सुविधा के लिए इसकी लिंक दे रही हूँ ! सत्य की जाँच आप सब स्वयं कर लें ! लिंक यह है -- www.youtube.com/watch?v=KuACFgJVecs
ReplyDeleteआदरणीय दीदी
Deleteशुभ प्रभात
जानकारी के लिए आभार
आपकी दिप्पणी मैं वेबदुनिया को प्रेषित कर रही हूँ
उनका जवाब आनेपर मैं आपको सूचित करूँगी
सादर
धन्यवाद यशोदा जी ! गूगल सर्च पर आप कविता का शीर्षक टाइप करके देखिये कई सूत्र मिल जायेंगे इसे प्रमाणित करने के लिए कि यह कविता महाश्वेता देवी की है ! पहले मैं भी असमंजस में थी कि यह कविता महदेवी वर्मा की नहीं हो सकती क्योंकि उनकी शैली और प्रकृति दोनों ही इस कविता से मेल नहीं खाते ! इसलिए मैंने गूगल पर इसे सर्च किया ! तब यह पता चला कि यह अनुपम रचना महाश्वेता देवी की है ! प्लीज़ अन्यथा मत लीजियेगा ! आभार !
Deleteआदरणीय दीदी
Deleteमैंनें स्मृति दीदी जो वेबदुनिया मे फीचर एडिटर है को सूचित कर दी हूँ
उनका जवाब आते ही सूचित करूँगी
अन्यथा लेने का प्रश्न ही नहीं...
जैसा मुझे मिला वैसा ही परोस दिया मैंंनें
आपकी सजगता की प्रशंशा करती हूँ
सादर
आदरणीय साधनाजी,
Deleteयह कविता निधि सक्सेना जी की कापी राइट कविता है न कि महाश्वेता देवी जी की...