मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Friday, November 11, 2016
संबल........दिव्या माथुर
जाड़े की
ठिठुरन में
हुक्का ही
इक संबल था
आया आज
ख़याल तेरा
गरम मुलायम
कम्बल सा
-
दिव्या माथुर
1 comment:
विभा रानी श्रीवास्तव
November 11, 2016 at 7:49 AM
बेजोड़ क्षणिका
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बेजोड़ क्षणिका
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