Saturday, September 3, 2016

जिसकी है नमकीन ज़िन्दगी............श्यामल सुमन



जो दिखती रंगीन ज़िन्दगी
वो सच में है दीन ज़िन्दगी

बचपन, यौवन और बुढ़ापा
होती सबकी तीन ज़िन्दगी

यौवन मीठा बोल सके तो
नहीं बुढ़ापा हीन ज़िन्दगी

जीते जो उलझन से लड़ के
उसकी है तल्लीन ज़िन्दगी

वही छिड़कते नमक जले पर
जिसकी है नमकीन ज़िन्दगी

दिल से हाथ मिले आपस में
होगी क्यों ग़मगीन ज़िन्दगी

जो करता है प्यार सुमन से
वो जीता शौकीन ज़िन्दगी

-श्यामल सुमन
shyamalsuman@yahoo.co.in

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-09-2016) को "आदमी बना रहा है मिसाइल" (चर्चा अंक-2455) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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