लड़की चीख़ी
चिल्लायी भी
मगर हैवानों के कान बंद पड़े थे
नहीं सुन पाये
उसकी आवाज़ का दर्द
वह रोयी बहुत
आँखों से उसके
झर-झर आँसू गिरे
ख़ून के आँसू
मगर हैवानों की आँखें
पत्थर की थी
वो आँसुओं का दर्द
नहीं देख पाये
वो हिचकियाँ लेकर
सिसकती रही
दुहाई देती रही
कभी इंसानी रिश्तों की
कभी ईश्वर की
मगर हैवानों के दिल नहीं थे
वो दर्द महसूस न कर सके
वो घंटों लड़ती रही हैवानों से
अब मौत से लड़ रही है
दूर खड़ा शैतान हँस रहा है
मुस्कुरा रहा है
एक बार फिर
वो अपने मक़सद पर कामयाब रहा
इंसानियत को तार –तार कर गया
इंसानों का इंसानों पर से
विश्वास हिला गया
सभ्य समाज को आईना दिखा गया
-नादिर खान
आज का सच ।
ReplyDeleteह्रदय को कितनी वेदना होती है, जब किसी की इच्छा के खिलाफ उसके साथ कुछ होता है, ये क्रूर ह्रदय के लोग कभी न समझ पाएंगे।
ReplyDeleteमृत्युंजय
www.mrityunjayshrivastava.com
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-09-2016) के चर्चा मंच "उत्तराखण्ड की महिमा" (चर्चा अंक-2481) पर भी होगी!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'