हो सके , ऐतबार कर लेना।
और तुम मुझसे प्यार कर लेना।
पहले वादा करो मुहब्बत का ,
फिर गिले तुम हज़ार कर लेना।
तुमको पाने का एक मतलब है,
ज़िन्दगी खुशगवार कर लेना।
रात-दिन तुमको याद करता हूँ ,
खुद को भी महवे-यार कर लेना।
अपने दामन में रौशनी भर लो,
कुछ सितारे शुमार कर लेना।
सात जन्मों का साथ हो अपना,
इस तरह का क़रार कर लेना।
देर हो जाए गर "कुँवर" मुझको,
दो घडी इंतज़ार कर लेना।
-कुँवर कुसुमेश
महवे-यार = यार के ख्यालों में तल्लीन
बाढ़िया ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-09-2016) को "हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-2465) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह!
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल है कुंवर कुसुमेश जी ,बधाई
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल है कुंवर कुसुमेश जी ,बधाई
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