आशिकी से मिलेगा ए ज़ाहिद
बन्दगी से ख़ुदा भी नहीं मिलता
-दाग
दुनिया के सितम याद न अपनी वफा याद
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
-जिगर मुरादाबादी
एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक
इश्क से तबियत ने जिस्त का मजा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया
-गालिब
मुहब्बत में नहीं फर्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
-गालिब
मालूम है कि प्यार खुला आसमान है
छूटते नहीं ये दर-ओ-दीवार क्या करूँ
अनवर शऊर
मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे
जिन्दगी सारी इस वहम ने ले ली
-मजाज लखनवी
वो मेरा है तो कोई और उसे क्यों देखे
जाने क्यों मुहब्बत में, बच्चा-सा हो गया हूँ मैं
-मजाज लखनवी
ये मुहब्बत भी है क्या रोग फराज़
जिसे भूले वो सदा याद आया
-अहमद फराज़
इन को नासिर न कभी आंख से गिरने देना
उनको लगता है मेरी आंख में प्यारे आंसू
-नासिर काजमी
प्यारा सा संकलन
नायिका से
बहुत खूब..संकलन प्रस्तुत करने के लिये आभार।
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-02-2015) को "आ गया ऋतुराज" (चर्चा अंक-1889) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteSundar sankln
ReplyDeleteबहुत खूब, एक से बढ़कर एक शेर प्रस्तुत किए हैं आपने।
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