जो ख़याल आया, तुम्हारी याद में ढलता रहा
दिल चराग़े-शाम बनकर सुबह तक जलता रहा
हम कहां रुकते सदियों का सफर दरपेश था
घंटियां बजती रही और कारवां चलता रहा
कितने लम्हों के पतंगे आए, आकर जल बुझे
मैं चराग़े-जिन्दगी था, ता-अबद जलता रहा
हुस्न की तबानियां मेरा मुकद्दर बन गई
चांद में चमका,कभी ख़ुरशीद में ढलता रहा
जाने क्या गुजरी कि फरजाने भी दीवने हुए
मैं तो श़ायर था,खुद अपनी आग में जलता रहा
जमील मलिक
जन्मः 12 अगस्त.1928, रावलपिण्डी, पाकिस्तान
जन्मः 12 अगस्त.1928, रावलपिण्डी, पाकिस्तान
दरपेशः समस्या सामने होना, ता-अबदः अनंत काल तक,
तबानियां: ज्योति, ख़ुरशीदः सूरज, फ़रजानेः बुद्धिमान
बहुत सुंदर उत्कृष्ट रचना ....!आभार
ReplyDelete==================
नई पोस्ट-: चुनाव आया...
बहुत सुन्दर...आह.........
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना.....waah
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteनई पोस्ट वो दूल्हा....