Saturday, April 13, 2013

मिलेगी बेवफ़ा से पर ज़फ़ा अक्सर...............सतपाल ख्याल


वो आ जाए, ख़ुदा से की दुआ अक्सर
वो आया तो, परेशाँ भी रहा अक्सर

ये तनहाई ,ये मायूसी , ये बेचैनी
चलेगा कब तलक, ये सिलसिला अक्सर

न इसका रास्ता कोई ,न मंजिल है
‘महब्बत है यही’ सबने कहा अक्सर

चलो इतना ही काफ़ी है कि वो हमसे
मिला कुछ पल मगर मिलता रहा अक्सर

वो ख़ामोशी वही दुख है वही मैं हूँ
तेरे बारे में ही सोचा किया अक्सर

ये मुमकिन है कि पत्थर में ख़ुदा मिल जाए
मिलेगी बेवफ़ा से पर ज़फ़ा अक्सर

सतपाल ख्याल

13 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन ***न इसका रास्ता कोई ,न मंजिल है
    ‘महब्बत है यही’ सबने कहा अक्सर

    चलो इतना ही काफ़ी है कि वो हमसे
    मिला कुछ पल मगर मिलता रहा अक्सर

    वो ख़ामोशी वही दुख है वही मैं हूँ
    तेरे बारे में ही सोचा किया अक्सर

    ये मुमकिन है कि पत्थर में ख़ुदा मिल जाए
    मिलेगी बेवफ़ा से पर ज़फ़ा अक्सर

    ReplyDelete

  3. बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
    पधारें "आँसुओं के मोती"

    ReplyDelete
  4. चलो इतना ही काफ़ी है कि वो हमसे
    मिला कुछ पल मगर मिलता रहा अक्सर

    वाह ! क्या बात है !
    कहाँ कहाँ से ढूंढ लाती हो कविता अक्सर :)

    ReplyDelete
  5. सुंदर प्रस्तुति .... बेहतरीन रचना!!

    ReplyDelete
  6. सुंदर प्रस्तुति ..

    ReplyDelete
  7. नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
    आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
    बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    मेरी मांग

    ReplyDelete
  8. बेहतरीन रचना ... बधाई !

    ReplyDelete