प्रेम-1
प्रेम का मतलब है
तुम्हारे साथ रहना।
प्रेम-2
तुम मुझे माफ नहीं करती
पर सारे अपमान पी कर भी
मैं तुम्हें मना लेता हूं।
हालांकि तुम कहती हो कि
इसका उल्टा ही सच है।
मैं बांहें फैलाकर
जरा-सा मुस्करा देता हूं।
प्रेम-3
तुम्हारे खिलाफ सुनी बहुत सी बातों पर
मुझे यकीन भी है।
पर उनकी चर्चा मैं तुमसे
कभी भी नहीं करूंगा।
पता नहीं ये बात
मेरे जेहन में है
या
तुम्हारे।
--रविकांत
कितने रंग लिए ,कितने विचार लिए प्रेम ....
ReplyDeleteशुक्रिया दीदी
Deleteक्या बात है -
ReplyDeleteखुबसूरत प्रस्तुति |
आभार ||
आभार भाई
Deleteप्रेम की अलग अलग परिभाषा
ReplyDeleteआभार मनु भाई
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