'शाम होने को है लाल सूरज
समन्दर में खोने को है ..
हर दिन की तरह मेरा उदास
मन उनकी यादों में रोने को है ..
फिर कुछ बूंद आँसुओं की
समाएगी इस सागर में रोज की तरह ,,
पर मेरे मन का सागर न
खाली होगा इन आँसुओं से कभी .
पानी के साथ आँसू भी
बदल बन उड़ जाते है आसमां में ..
पर अब तक न बरस पाई
उसके आँगन में ना जाने क्यों .
बस ये उम्मीद कि कभी तो
बारिश बन बरसेगें ये आँसू उस पर .
शायद पिघल ही जाये उसका
दिल उन आँसुओं में छिपे दर्द से
--प्रस्तुति करणःरणजीत भोंसले
समन्दर में खोने को है ..
हर दिन की तरह मेरा उदास
मन उनकी यादों में रोने को है ..
फिर कुछ बूंद आँसुओं की
समाएगी इस सागर में रोज की तरह ,,
पर मेरे मन का सागर न
खाली होगा इन आँसुओं से कभी .
पानी के साथ आँसू भी
बदल बन उड़ जाते है आसमां में ..
पर अब तक न बरस पाई
उसके आँगन में ना जाने क्यों .
बस ये उम्मीद कि कभी तो
बारिश बन बरसेगें ये आँसू उस पर .
शायद पिघल ही जाये उसका
दिल उन आँसुओं में छिपे दर्द से
--प्रस्तुति करणःरणजीत भोंसले
पर अब तक न बरस पाई
ReplyDeleteउसके आँगन में ना जाने क्यों ....
...........................................
बहुत सुन्दर भाव...
भाई शुक्रिया
Deleteबाहर गई थी
परसों ही आई हूँ
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना.बहुत बधाई आपको
ReplyDeleteशुक्रिया मदन भाई
Deleteदीदी
ReplyDeleteशुक्रिया
फिर और शुक्रिया फेसबुक में आगमन के लिये
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteदीदी प्रणाम
Deleteयशवन्त भाई ठीक तो हैं न
बेहद ह्रदय स्पर्शी रचना !!!
ReplyDeleteइन्दु दीदी
Deleteमेरी पसंद को पसंद किया आपने
शुक्रिया
बहुत सुन्दर रचना....
ReplyDeleteशुक्रिया यशोदा..
सस्नेह
अनु
दीदी आभार
Deleteबहुत सुन्दर रचना दिल को छूती हुई ..........
ReplyDeleteशुक्रिया दीदी
Deleteसुन्दर रचना | नवरात्रि की शुभकामनायें |
ReplyDeleteनई पोस्ट:- हे माँ दुर्गा
प्रदीप भाई धन्यवाद
Deleteसुंदर भाव लिए खूबसूरत रचना ।
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