जब सोचा था तुमने
दूर कहीं मेरे बारे में
यहाँ मेरे हाथों की चुड़ियाँ छनछनाई थी।
जब तोड़ा था मेरे लिए तुमने
अपनी क्यारी से पीला फूल
यहाँ मेरी जुल्फें लहराई थी।
जब महकी थी कोई कच्ची शाख
तुमसे लिपट कर
यहाँ मेरी चुनरी मुस्कुराई थी।
जब निहारा था तुमने उजला गोरा चाँद
यहाँ मेरे माथे की
नाजुक बिंदिया शर्माई थी।
जब उछाला था तुमने हवा में
अपना नशीला प्यार
यहाँ मेरे बदन में बिजली सरसराई थी।
तुम कहीं भी रहो और
कुछ भी करों मेरे लिए,
मेरी आत्मा ले आती है
तुम्हारा भीना संदेश
मेरे जीवन का बस यही है शेष।
दूर कहीं मेरे बारे में
यहाँ मेरे हाथों की चुड़ियाँ छनछनाई थी।
जब तोड़ा था मेरे लिए तुमने
अपनी क्यारी से पीला फूल
यहाँ मेरी जुल्फें लहराई थी।
जब महकी थी कोई कच्ची शाख
तुमसे लिपट कर
यहाँ मेरी चुनरी मुस्कुराई थी।
जब निहारा था तुमने उजला गोरा चाँद
यहाँ मेरे माथे की
नाजुक बिंदिया शर्माई थी।
जब उछाला था तुमने हवा में
अपना नशीला प्यार
यहाँ मेरे बदन में बिजली सरसराई थी।
तुम कहीं भी रहो और
कुछ भी करों मेरे लिए,
मेरी आत्मा ले आती है
तुम्हारा भीना संदेश
मेरे जीवन का बस यही है शेष।
--स्मृति जोशी "फाल्गुनी"
Vry vry b.ful expression of love..yshoda ji muje to apki kavita bht hi sundar lgi..cngrts..
ReplyDeleteशुक्रिया आपको
Deleteखूबसूरत..खूबसूरत ..खूबसूरत
ReplyDeleteधन्यवाद राहुल भाई
Deleteकोमल अहसासयुक्त बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
:-)
धन्यवाद रीमा जी
Deleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteसांझा करने का शुक्रिया यशोदा जी.
सस्नेह
अनु
दीदी
Deleteनमस्कार
शुक्रिया
सादर
bahut khoob.
ReplyDeleteआशीष भाई
Deleteधन्यवाद
प्रेमाभिव्यक्ति से लबरेज़ कविता..
ReplyDeleteखूबसूरत..!
जहे नसीब
Deleteआप आई
शुक्रिया
INTNEE DEEP FEELING ....
ReplyDeletePADKAR ANAND AA GAYA ...
ACCHI PRASTUTI...
http://www.yayavar420.blogspot.in/
शुक्रिया सोम
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