Wednesday, December 28, 2011

नयी तान और ताल जुड़ेगी.......................मुकेश ठन्ना

मीठे से एक गीत का टुकड़ा आया मन के द्वारे

विस्मय से अपलक वो मन को देखे और पुकारे,,

में दिखता हु चाँद का टुकड़ा ,,

एक अधूरे गीत का मुखड़ा ,

एक विश्वास लिए आया हूँ ,,

अंतिम आस लिए आया हूँ ,

बस तुम अपनी कलम चलाओ ,

अद्भुत से कुछ शब्द बनाओ ,,

जोड़ दो मुझमे एक अन्तरा,

नव निर्माण का नया मन्तरा,

तब बन जाउगा में गीत ,,

और बुन जायेगा संगीत,,

नयी तान और ताल जुड़ेगी ,

अद्भुत एक संसार रचेगी , , , ,. .


. . .. . .मुकेश ठन्ना

5 comments:

  1. वाह, क्या बात है.

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  2. Apni rachna ki premika se tulna ; kya oonchi kalpna aur aihsas.Yashoda ji chun chun ke dharoher swarup deti he. Kavi Mukesh ji---kurm kero aap, GEET ka muqdar bna de, duua ker rha hu,Masiha tume dwa ge .

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  3. आपके इस गीत की तो जितनी तारीफ की जाये कम ही होगी एक एक शब्द मोती सा चमक रहा है ..इसी तरह की और भी रचनाओं की अपेक्षा है आपसे

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