कभी कभी आईना भी झूठ कहता है
अकल से शक्ल जब मुकाबिल हो
पलडा अकल का ही भारी रहता है
अपनी खूबसूरती पे ना इतरा मेरे मह्बूब
कभी कभी आईना भी झूठ कहता है
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है
मुर्दा है जो खामोश हो के जुल्म सहता है
काट देता है टुकडों मे संग-ए-मर्मर को
"सिकंदर" पानी भी जब रफ़्तार से बहता है.
ईशक़ में चोट खा के दीवाने हो जाते हैं जो
नशा उनपे ता उमर मोहब्बत का तारी रहता है
अकल से शक्ल जब मुकाबिल हो
पलडा अकल का ही भारी रहता है
---------सिकन्दर खान
http://forums.abhisays.com/archive/index.php/t-1587.html
अकल से शक्ल जब मुकाबिल हो
पलडा अकल का ही भारी रहता है
अपनी खूबसूरती पे ना इतरा मेरे मह्बूब
कभी कभी आईना भी झूठ कहता है
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है
मुर्दा है जो खामोश हो के जुल्म सहता है
काट देता है टुकडों मे संग-ए-मर्मर को
"सिकंदर" पानी भी जब रफ़्तार से बहता है.
ईशक़ में चोट खा के दीवाने हो जाते हैं जो
नशा उनपे ता उमर मोहब्बत का तारी रहता है
अकल से शक्ल जब मुकाबिल हो
पलडा अकल का ही भारी रहता है
---------सिकन्दर खान
http://forums.abhisays.com/archive/index.php/t-1587.html
शानदार गज़ल है।
ReplyDeleteसादर
बेहद उम्दा रचना ! बधाई!
ReplyDeletepyari gajal...
ReplyDeleteyashoda ji ap jaisi shrota ka har kavi,shyar ko intzaar rhega...
Bahut afsos kee baat hai sikandar ji aapne meri ye gazal chura kar apne naam se publish kee hai . ye gazal maine Sep 19, 2010 ko likhi thi aur usi din shayri.com par post kee thee . apne ise apne naam se publish kar ke mere copyright ka ulanghan kia hai . ye notice hai . parveen komal president press club patiala punjab 9041116001 .... link dekhie http://www.shayri.com/forums/showthread.php?t=71250
ReplyDeleteBahut Afsos Hua aaj ye dekhkar ki shayri.com par 19 sept. 2010 ko prkashit meri gazal ko kisi sikandar khaan kee rishtedar yashoda ne sikandar khaan ke naam se ek saal baad post kar dia
ReplyDeletesharam aani chahie aise logon ko
ye hai meri gazal ka link
http://www.shayri.com/forums/showthread.php?t=71250
Ye hai un logon kee ghatia kartoot kaa link
http://4yashoda.blogspot.in/2011/12/blog-post_08.html…