उम्दा इक शोर सा मचा है जहन के सन्नाटे में इक आवाज गुज़रती है दिल के दरीचे से हर शाख पर फूल तन्हाई के खिले हैंख्वाब मचलते है ज़ज्बातों के बगीचे में अज़ीज़ जौनपुरी
मौन की गहराई को व्यक्त करती अभिव्यक्ति! साभार! आदरणीया यशोदा जी!धरती की गोद
गहन अभिव्यक्ति...
bahut sundar
उम्दा
ReplyDeleteइक शोर सा मचा है जहन के सन्नाटे में
इक आवाज गुज़रती है दिल के दरीचे से
हर शाख पर फूल तन्हाई के खिले हैं
ख्वाब मचलते है ज़ज्बातों के बगीचे में
अज़ीज़ जौनपुरी
मौन की गहराई को व्यक्त करती अभिव्यक्ति! साभार! आदरणीया यशोदा जी!
ReplyDeleteधरती की गोद
गहन अभिव्यक्ति...
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