मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Thursday, December 8, 2022
इंद्रधनुष ... डॉ. सीमा भट्टाचार्य
›
पौष की वह धुआं भोर मखमली चादरी शीत दोपहरी सा.. घुमड़ता बादल वह सांझ सिंदूरी बरसता बूंद धूप लहरी सा धनकता पहाड़ वह हरीतिमा हरी महकता द्रुत फूल ...
7 comments:
Saturday, October 22, 2022
इन आँखों ने देखी न राह कहीं ...महादेवी वर्मा
›
इन आँखों ने देखी न राह कहीं इन्हें धो गया नेह का नीर नहीं, करती मिट जाने की साध कभी, इन प्राणों को मूक अधीर नहीं, अलि छोड़ो न जीवन की तरणी...
5 comments:
Tuesday, October 18, 2022
ना जाने क्यूं ...दिनेश पाठक
›
मेरे घर की खिड़की से अब कोई पेड़ नहीं दिखता न जाने क्यूं सुरक्षित अभ्यारण्य में भी अब कोई शेर नहीं दिखता कहानियां मार्मिक यूं तो बिखरी है चा...
3 comments:
Monday, October 17, 2022
आजमाईश.....दीप्ति शर्मा
›
आजमाना न था साथी जीवन की आजमाइश में जिंदगी को तौलता तराजू सूरज बना, तुम कंधे पर बैठ उसके थामनें लगे दुनिया पकड़ने लगे पीलापन मुट्ठी बंद करते...
10 comments:
Sunday, October 16, 2022
कितने सहमे डरे हुए ..प्रकाश गुप्ता
›
कितने सहमे डरे हुए अहं से हम भरे हुए इच्छाओं के पत्ते हरे हुए फिर भी हैं ठहरे हुए क्योंकि अहं से हैं भरे हुए आत्म-प्रशंसा की दीवारें दिखता ...
1 comment:
Friday, October 14, 2022
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है ...मैथिलीशरण गुप्त
›
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है। सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥ नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं। बंदीजन खग-वृन्द, शेषफ...
3 comments:
Wednesday, October 12, 2022
गोधूलि वो चरागाह ढूढ़ते हैं ...मनीषा गोस्वामी
›
गाँव में होकर भी वो बचपन वाला गाँव ढूढ़ते है। वो पगडण्डी, वो खेत और खलिहान ढूढ़ते है। गाँव में होकर भी गाँव ढूढ़ते है। वो पीपल के पेड़ की ठ...
5 comments:
‹
›
Home
View web version