मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Wednesday, May 17, 2017
इतने वीभत्स वार क्यूँ.....अलका गुप्ता
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जंगल की कंदराओं से निकल तुम | सभ्यताओं के सोपान इतने चढ़े तुम | क्यूँ हो अभी भी दानव.... इतने तुम ! अत्याचार ये..इतने वीभत्स व...
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Tuesday, May 16, 2017
चाहा था हमने साँसों की तरह....विशाल मौर्य विशु
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जमाने को भी ये खबर हो गया है मुहब्बत तो तनहा सफर हो गया है ना तो दिन ढलते हैं ना ही रातें गुजरती जुदाई का ऐसा असर हो गया है...
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Monday, May 15, 2017
सारा मकां सोया पड़ा है.....आबिद आलमी
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वो जिन्हें हर राह ने ठुकरा दिया है, मंज़िलों को ग़म उन्हीं को खा रहा है मेरा दिल है देखने की चीज़ लेकिन इस को छूना मत कि यह टूटा ...
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Sunday, May 14, 2017
जानती हूँ ...मेरी माँ....अलका गुप्ता
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.......मातृ-दिवस पर विशेष...... कुछ दिल में अरमान हैं । मैं भी कुछ करूँ ...। यूँ ही न मरुँ ...। दुनियां अपनी करूँ ।। चंद सां...
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Saturday, May 13, 2017
तड़पन............डॉ. सुषमा गुप्ता
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हवा बजाए साँकल .. या खड़खड़ाए पत्ते.. उसे यूँ ही आदत है बस चौंक जाने की। कातर आँखों से .. सूनी पड़ी राहों पे .. उसे यूँ ही आदत...
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Friday, May 12, 2017
बँधे हैं हम..............सुशांत सुप्रिय
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कितनी रोशनी है, फिर भी कितना अँधेरा है! कितनी नदियाँ हैं, फिर भी कितनी प्यास है! कितनी अदालतें हैं, फिर भी कितना अन्याय है...
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Thursday, May 11, 2017
सैनेटाइजर का प्रयोग ना हीं करें तो बेहतर है....गगन शर्मा
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गर्मी के बावजूद इस बार अप्रैल में कई जगह आना-जाना करना पड़ा था। जिसमें सालासर बालाजी के दर्शनों का सुयोग भी था। जिसका ब्यौरा पिछली पो...
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