मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Wednesday, November 30, 2011
इतनी नादानी जहां के सारे दानाओं में थी |.....................अल्लामा इक़बाल
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इक शोख़ 'किरण', शोख़ मिसाले-निगहे-हूर, आराम से फ़ारिग़ सिफ़ते-जौहरे-सीमाब | बोली की मुझे रूख़सते-तनवीर अता हो, जब तक न हो मशरिक़ क़ा ...
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Tuesday, November 29, 2011
निकाला करती है घर से ये कहकर तू तो मजनू है.......अकबर इलाहाबादी
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उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है और गाने की आदत भी निकलती हैं दुआऎं उनके मुंह से ठुमरियाँ होकर तअल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था मज़े अब वो क...
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