पौष की वह
धुआं भोर
मखमली चादरी
शीत दोपहरी सा..
घुमड़ता बादल वह
सांझ सिंदूरी
बरसता बूंद
धूप लहरी सा
धनकता पहाड़ वह
हरीतिमा हरी
महकता द्रुत
फूल पापड़ी सा
पर्वत गोद वह
इंद्रधनुष संतरी
श्रृग बहता
अमृत सीकरी सा
धरा हिम वह
मेघ जड़ी
तारा दीप
जलता अंगार सा
सूर्य चंद्र वह
क्षितिज प्रहरी
श्वेत आकाशगंगा
आरव लड़ी सा...
- डॉ. सीमा भट्टाचार्य