tag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post4717131052334358483..comments2024-03-07T12:36:27.252+05:30Comments on मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह: मैं स्त्री हूं ...उमा त्रिलोकyashoda Agrawalhttp://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-26281675362443154672020-05-28T22:32:33.826+05:302020-05-28T22:32:33.826+05:30लाजवाबलाजवाबसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-63449474648399579792020-05-28T19:18:21.936+05:302020-05-28T19:18:21.936+05:30क्यों कि नहीं जीना है मुझे
इस हारी सोच की व्यथा के...<br />क्यों कि नहीं जीना है मुझे<br />इस हारी सोच की व्यथा के साथ<br />–कभी नहीं जीना चाहिए<br /><br />"मुझे जीना है<br />हंस ध्वनि सा<br />गुनगुनाता जीवन<br />गीत सा लहराता जीवन"<br />–आमीन/तथास्तु<br /><br />सुंदर लेखनविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-55631400249022713202020-05-28T14:14:08.755+05:302020-05-28T14:14:08.755+05:30Khubsurat RachnaKhubsurat RachnaBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-65240731550607797542020-05-28T08:50:22.421+05:302020-05-28T08:50:22.421+05:30वाह, बहुत सुन्दर रचना वाह, बहुत सुन्दर रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-12569207419389685962020-05-28T08:26:45.082+05:302020-05-28T08:26:45.082+05:30किसी महत्वाकाक्षा को मत पालना
जो मिले स्वीकारना,मा...किसी महत्वाकाक्षा को मत पालना<br />जो मिले स्वीकारना,मां मुझे अपनी अस्मिता की रक्षा करनी है ,अद्वितीय सटीक ,यथार्थ नमनRitu asooja rishikesh https://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-58995696235824092592020-05-28T07:35:11.522+05:302020-05-28T07:35:11.522+05:30क्या
उसके छल कपट को अनदेखा कर दूं
समझौता कर लूं
उस...क्या<br />उसके छल कपट को अनदेखा कर दूं<br />समझौता कर लूं<br />उस की व्यभिचारिता से<br />पायदान की तरह पड़ी रहूं<br />सहती सब कुछ<br />फिर भी ना बोलूं<br />अन्याय के आगे<br />झुक जायूं ...<br />हमारे सुसंस्कारी और सुसंस्कृत समाज से केवल औरतों, बेटियों को ही नहीं, बल्कि पुरुषों, बेटों को भी तथाकथित पौराणिक कथा रामायण का हवाला देते हुए,अपने पिता द्वारा अपने ज्येष्ठ पुत्र के वनगमन के आदेश को श्रद्धापूर्वक स्वीकार कर लेने को आदर्श बतलाते हुए छल-कपट को अनदेखा कर समझौता कर लेने की सहज शिक्षा परोसते हैं ...Subodh Sinhahttps://www.blogger.com/profile/05196073804127918337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2015649890087285472.post-78096245578421307152020-05-28T07:22:02.984+05:302020-05-28T07:22:02.984+05:30मां
अगर ऐसा करूंगी तो फिर किस
स्वाभिमान से
अपने बच...मां<br />अगर ऐसा करूंगी तो फिर किस<br />स्वाभिमान से<br />अपने बच्चों को<br />बुरे भले की पहचान करवाऊंगी<br />किस मुंह से उन्हें<br />यातना और अन्याय के आगे<br />न झुकने का पाठ पढ़ाऊंगी<br />नमन आप की लिक को बेधती लेखनी को और क्रांतिकारी तो नहीं ( वैसे आसपास के हालात के संदर्भ में तो करारी चोट करती क्रांतिकारी विचारधारा ही है ), पर यथार्थ बयान करती रचना को ...<br />साथ ही यशोदा बहन का आभार ऐसे अनमोल विचार/रचना को "मेरी धरोहर" के माध्यम से हम जैसे सुस्त पाठकों को सहज उपलब्ध कराने के लिए ...Subodh Sinhahttps://www.blogger.com/profile/05196073804127918337noreply@blogger.com