Sunday, January 26, 2020

अक्सर खामोश लम्हों में....मीना भारद्वाज


अक्सर खामोश लम्हों में
किताबें भंग करती हैं
मेरे मन की चुप्पी…
खिड़की से आती हवा के साथ
पन्नों की सरसराहट
बनती है अभिन्न संगी…
पन्नों से झांकते शब्द
सुलझाते हैं मन की गुत्थियां
शब्द शब्द झरता है पन्नों से
हरसिंगार के फूल सा…
नीलगगन में चाँद
बादलों की ओट से झांकता
धूसर सा लगता है…
कशमकश के लम्हों में
एक खामोश सी नज़्म
साकार हो उठती है अहसासों में
बस उसी पल…
प्रभाकर की अनुपस्थिति में
पूर्णाभा के साथ
मन आंगन में..सात रंगों वाला…
इन्द्र धनुष खिल उठता है !!


लेखिका परिचय- मीना भारद्वाज 

8 comments:

  1. गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं। बहुत सुन्दर सृजन।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 26 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर सृजन मीना जी! मन के अहसास !

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  4. बेहतरीन रचना सखी

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  5. अक्सर खामोश लम्हों में
    किताबें भंग करती हैं
    मेरे मन की चुप्पी…

    मुझे भी गीताप्रेस की ढेर सारी पुस्तकें हमारे अग्रज सलिल भैया ने भेंट की हैं।

    बचपन की याद आ गयी , जब बनारस में नीचीबाग पहुँच जाता था 'कल्याण' लेने।
    ये पुस्तकें ही सच्ची और अच्छी मित्र होती हैं दी।

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  6. आप सबका हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए 🙏 बहुत बहुत आभार संजय जी । आप सबको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏 .

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    1. आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
      सुंदर रचना।

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  7. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति

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