Wednesday, September 25, 2019

माँ की जलती हथेलिया....संजय भास्कर


वर्षो से जलती रही हथेलियाँ
माँ की 
सेंकते- सेंकते रोटियां 
मेरे पहले स्कूल से लेकर आखरी कॉलेज तक  
सब याद है मुझे आज तक 
बड़ी सी नौकरी और मिल गया 
बड़ा सा घर 
जिसे पाने के लिए सारी -२ रात लिखे पन्ने 
अनजानी काली स्याही से 
पर सब कुछ होने पर 
नहीं भूलती
माँ की जलती हथेलियाँ....!!

- संजय भास्कर 

9 comments:

  1. भावपूर्ण प्रस्तुति

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  2. संजय भाई, दिल को छुती बहुत ही सुंदर रचना।

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  3. माँ की जलती हथेलियों को कभी भूलना भी नहीं चाहिए ,बहुत ही प्यारी रचना संजय जी

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  4. वाह हृदय स्पर्शी सृजन।

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  5. माँ की जलती हथेलियों ने
    मेरी किस्मत की लकीरों को संवारा
    अब मुझे इनके फफोलों पर
    सेवा का मरहम है लगाना.

    हामिद की दादी याद आ गई.
    छोटी-सी प्यारी कविता,संजयजी.

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  6. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.9.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3470 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  8. वर्षो से जलती रही हथेलियाँ
    माँ की
    सेंकते- सेंकते रोटियां
    मेरे पहले स्कूल से लेकर आखरी कॉलेज तक
    बहुत ही लाजवाब हृदयस्पर्शी सृजन....
    वाह!!!

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