Tuesday, June 26, 2018

मेरी नींद चुरा क्यूँ नहीं लेते......... ज़फ़र गोरखपुरी

05 मई 1935   - 29 जुलाई 2017

मौसम को इशारों से बुला क्यूँ नहीं लेते
रूठा है अगर वो तो मना क्यूँ नहीं लेते

दीवाना तुम्हारा कोई ग़ैर नहीं
मचला भी तो सीने से लगा क्यूँ नहीं लेते

ख़त लिख कर कभी और कभी ख़त को जलाकर
तन्हाई को रंगीन बना क्यूँ नहीं लेते

तुम जाग रहे हो मुझको अच्छा नहीं लगता
चुपके से मेरी नींद चुरा क्यूँ नहीं लेते
-ज़फ़र गोरखपुरी

7 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर

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  2. लाजवाब ....👌👌👌👌👌

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-06-2018) को "मन को करो विरक्त" ( चर्चा अंक 3014) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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