Tuesday, April 3, 2018

ऊँचा पहुँचोगे तुम.....मंजूषा "मन"

पंख फैलाओ अगर पास आसमान रहे।
ऊँचा पहुँचोगे तुम साथ गर उड़ान रहे।

मखौल मेरा बनाओ तो बना लो लेकिन,
तीर मुझपर चलाओ तो चला लो लेकिन।
कुछ तो ऐसा करो पास में ईमान रहे॥

हर एक पल उसे बस बात इक सताती है,
चैन की नींद भी तो एक पल न आती है।
घर में जब उसके बेटी कोई जवान रहे॥

अब जो गुज़रे तो फिर न लौट पायेंगे हम,
हमें यक़ीं है उस वक़्त याद आएँगे हम।
उम्र के दौर में जब आपके ढलान रहे॥

एक औरत सँवार देती है दुनिया सारी,
ज़िन्दगी लगने लगे जैसे बगिया प्यारी।
घर वो हो जाये जो पास इक मकान रहे॥

पंख फैलाओ अगर पास आसमान रहे।
ऊँचा पहुँचोगे तुम साथ गर उड़ान रहे॥
-मंजूषा "मन"

9 comments:

  1. हौसलों की उड़ान कोई नहीं रोक सकता
    बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक आभार कविता जी

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  2. बहुत सुन्दर....

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी

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  3. वाह!!बहुत सुंंदर ।

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    1. बहुत बहुत आभार शुभा जी

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  4. हार्दिक आभार सुशील जी

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  5. हार्दिक आभार आपका राधा जी

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  6. हार्दिक आभार नीतू जी

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