Monday, December 31, 2018

साल की आख़िरी रात ..... वेणु गोपाल

एक छलांग
लगाई है
उजाले ने
अंधेरे के पार

पाँव
हवा में--
और
मैं
अपनी डायरी पर
झुका हुआ
उसके
धरती छूने का
इन्तज़ार
करता
००
रात के बारह बजने में
अभी
काफ़ी देर है।
-वेणु गोपाल

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (01-01-2019) को "मंगलमय नववर्ष" (चर्चा अंक-3203) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    नववर्ष-2019 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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