Sunday, August 27, 2017

बारिस का वो पानी भूली....प्रीती श्रीवास्तव


मैं भूली, मेरी कहानी भूली !
संग बिताई सांझ सुहानी भूली !!

मन का आंगन डोल रहा !
मद-मस्त वो जवानी भूली !!

कोयल ने जब छेड़ी तान !
बारिस का वो पानी भूली !!

पंरिदे जब घर वापस आये !
दोपहर की वो नादानी भूली !!

हुई सांझ तेरी याद आयी !
गुजरे वक्त की निशानी भूली !!

आंखो आंखो मे बीती रातें !
फिर आंख का पानी भूली !!

प्यास बुझ गई एक बूंद से !
तपती रेत की वो रवानी भूली !!

मै भूली, मेरी कहानी भूली !
साथ बिताई सांझ सुहानी भूली !!

-प्रीती श्रीवास्तव

5 comments:

  1. बहुत सुंदर धन्यवाद !

    ReplyDelete
  2. प्यास बुझ गई एक बूंद से !
    तपती रेत की वो रवानी भूली !!....वाह!

    ReplyDelete
  3. एहसासों से गुज़रते लफ्ज़। सुन्दर, उत्कृष्ट प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete