Monday, July 31, 2017

मैंने छुआ, सहलाया उन्हें...शबनम शर्मा


बीच बाज़ार 
खिलौने वाले 
के खिलौने 
की आवाज़ से 
आकर्षित हो 
क़दम उसकी 
तरफ़ बढ़े।

मैंने छुआ,
सहलाया उन्हें 
व एक खिलौने 
को अंक में भरा
कि पीछे से कर्कष 
आवाज़ ने मुझे 
झंझोड़ा; 
‘‘तुम्हारी बच्चों की-सी 
हरकतें कब खत्म होंगी’’
सुनकर मेरा नन्हा बच्चा 
सहम-सा गया 
मेरी प्रौढ़ देह के अन्दर।
-शबनम शर्मा

3 comments:

  1. कहाँ खो गए ऐसे खिलौनेवाले !!

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  2. प्रौढ़ देह के अन्दर नन्हा बच्चा....
    वाह वाह

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  3. बचपन ऐसा ही होता है ... पल में आकर्षित होता है और पल में ही सहम जाता है ... मन में रहे सदा बचपन ...

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