Sunday, July 20, 2014

अहसास.................जया चक्रवर्ती







 





जानती हूँ कि मेरे आसपास
मुंह लगे शिकारी कुत्तों का
जमघट लग चुका है,


जिनके दांतों से
रोटी की सोंधी महक की बजाय
ताजे इंसानी ख़ून की
बदबू आ रही है.


पर अब
किया भी क्या जा सकता है
मैंनें ही तो उनकी ओर
रोटी के बजाय-
गोश्त का टुकड़ा
...उछाला था

-जया चक्रवर्ती

श्रीमती जया चक्रवर्ती के बारे में...
वे जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी की माता हैं
और वे एक कठोर अनुशासन वाली माँ के साथ-साथ कवि भी थी
श्रीमती जया चक्रवर्ती मूलतः तमिल मे ही लिखती हैं...
उनकी कुछ ही कविताओं का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध है
उनकी यह रचना एक पुराने समाचार के पन्नों से प्राप्त हुई 
 
मेरी सोच........
ये कविता कुछ अधूरी सी लग रही है
किसी जानकार को इसका बाकी हिस्सा मिले तो कृपया मुझे बताने की कृपा करें
 


3 comments:

  1. सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  2. एक बेहतरीन रचना साझा करने के लिये आभार

    ReplyDelete
  3. वाह जबरदस्त

    ReplyDelete